राकेश न्यायिक के  दूर दृष्टि  और पक्के इरादे के कारण  स सिकरौरा नरसंहार कांड उच्च न्यायालय में हुआ जिंदा ,सुनवाई शुरू  हीरावती  को जगी  न्याय  उम्मीद

वाराणसी 1986 के मार्च महीने में तत्कालीन थाना बलुआ वाराणसी के सिकरौरा गांव में 7 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी जिसमें वर्तमान एमएलसी विधान परिषद सदस्य और माफिया डॉन बृजेश सिंह मुख्य अभियुक्त थे ट्रायल कोर्ट वाराणसी न्यायालय द्वारा बृजेश सिंह को दोष मुक्त करार दिया गया था दोषमुक्त होने के बाद उसरी चट्टी कांड में बृजेश सिंह को जमानत मिल गई थी उसके बाद बृजेश सिंह सक्रिय सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन जीने लगे थे इस दौरान सिकरौरा नरसंहार कांड के पीड़ितों में हताशा निराशा का माहौल था लेकिन इस हताशा निराशा में भी एक व्यक्ति हौसला बुलंद कर पक्के इरादे के साथ कानून पर भरोसा कर न्याय की लड़ाई जारी रखा हुआ था उसे व्यक्ति का नाम है राकेश न्यायिक,जो इस मुकदमे के विधिक पैरोंकर  भी हैं

राकेश न्यायिक के  दूर दृष्टि  और पक्के इरादे के कारण  स सिकरौरा नरसंहार कांड उच्च न्यायालय में हुआ जिंदा ,सुनवाई शुरू  हीरावती  को जगी  न्याय  उम्मीद

वाराणसी/ प्रयागराज राकेश न्यायिक के  दूर दृष्टि  और पक्के इरादे के कारण  स सिकरौरा नरसंहार कांड उच्च न्यायालय में हुआ जिंदा ,सुनवाई शुरू  हीरावती  को जगी  न्याय  उम्मीद 


वाराणसी;-  1986 के मार्च महीने में तत्कालीन थाना बलुआ वाराणसी के सिकरौरा गांव में 7 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी जिसमें वर्तमान एमएलसी विधान परिषद सदस्य और माफिया डॉन बृजेश सिंह मुख्य अभियुक्त थे ट्रायल कोर्ट "वाराणसी न्यायालय" द्वारा बृजेश सिंह को दोष मुक्त करार दिया गया था

दोषमुक्त होने के बाद उसरी चट्टी कांड में बृजेश सिंह को जमानत मिल गई थी उसके बाद बृजेश सिंह सक्रिय सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन जीने लगे थे इस दौरान सिकरौरा नरसंहार कांड के पीड़ितों में हताशा निराशा का माहौल था

लेकिन इस हताशा निराशा में भी एक व्यक्ति हौसला बुलंद कर पक्के इरादे के साथ कानून पर भरोसा कर न्याय की लड़ाई जारी रखा हुआ था उसे व्यक्ति का नाम है राकेश न्यायिक,जो इस मुकदमे के विधिक पैरोंकर  भी हैं उनके द्वाराउच्च न्यायालय प्रयागराज में अपील दाखिल कर वाराणसी की अदालत द्वारा बृजेश सिंह को बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी गई थी जिस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा  सुनवाई  प्रारंभ कर दी गई है उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई प्रारंभ किए जाने से एक तरफ पीड़ितों को  न्याय मिलने की आशा जगी हैतो दूसरी तरफ बृजेश सिंह के खेमे में बेचैनी भी बढ़ गई है|  

आपको बता दे की  राकेश न्यायिक ही वो  शख्स है  जिन्होंने इस मुकदमे को जिंदा कर इस  इस अंजाम तक पहुंचाया की नरसंहार कांड का ट्रायल पूरा हो पाया  भले ही ट्रायल कोर्ट  ने बरी किया है , लेकिन    लेखक चिंतक सामाजिक  कार्यकर्ता  राकेश  न्यायिक  ने इस मुकदमे को  मजबूती के साथ लड़ा और  इस अंजाम तक पहुंचाया जबकि राकेश न्यायिक को माफियाओ ने खरीदने की पूरी कोशिश की , चर्चा के अनुसार डॉन  बृजेश सिंह ने एक चर्चित  पत्रकार र को करोड़ो रुपये लेकर मुकदमे की पैरवी बंद करने कराने का प्रयास किया लेकिन राकेश न्यायिक  ने किसी तर ह से भी सम्झौता करने से मना कर दिया था  

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