स्टार्टअप के लिए योगी सरकार ने की मदद, आज वाराणसी का युवक कई राज्यों में फैला रहा बिजनेस
वाराणसी, 14 नवंबर। जहां तमाम युवा आज भी सरकारी नौकरी की आस में अपनी जवानी के कई साल बर्बाद कर देते हैं वहीं वाराणसी के एक युवा उद्यमी ने स्वरोजगार की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए अपना स्टार्टअप शुरू किया और अपने बिजनेस को कई राज्यों में फैला चुका है। इस काम में मोदी-योगी सरकार की योजना ने उसकी काफी मदद की। राजेश जायसवाल नामक युवक ने सरकार की आर्थिक योजना का लाभ उठाते हुए हस्तनिर्मित रेडीमेड कपड़ों की फैक्टरी लगाकर आज बड़ा व्यवसाय खड़ा कर दिया है। करीब दो साल पहले शुरू किया गया व्यवसाय अब परवान चढ़ने लगा है।
स्टार्टअप के लिए योगी सरकार ने की मदद, आज वाराणसी का युवक कई राज्यों में फैला रहा बिजनेस
- वाराणसी से शुरू किया स्टार्टअप आज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार व छत्तीसगढ़ तक पंहुचा
- मोदी-योगी सरकार की योजना से काशी का युवक बना नवउद्यमी
- ई-कॉमर्स, अमेजॉन, फ़्लिप कार्ट, लाइम रोड जैसे प्लेटफार्म पर हाथों-हाथ बिक रहे इसके उत्पाद
- स्वरोजगार के साथ 20 से अधिक हाथों को दिया सीधे रोजगार
वाराणसी, 14 नवंबर। जहां तमाम युवा आज भी सरकारी नौकरी की आस में अपनी जवानी के कई साल बर्बाद कर देते हैं वहीं वाराणसी के एक युवा उद्यमी ने स्वरोजगार की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए अपना स्टार्टअप शुरू किया और अपने बिजनेस को कई राज्यों में फैला चुका है। इस काम में मोदी-योगी सरकार की योजना ने उसकी काफी मदद की। राजेश जायसवाल नामक युवक ने सरकार की आर्थिक योजना का लाभ उठाते हुए हस्तनिर्मित रेडीमेड कपड़ों की फैक्टरी लगाकर आज बड़ा व्यवसाय खड़ा कर दिया है। करीब दो साल पहले शुरू किया गया व्यवसाय अब परवान चढ़ने लगा है। इस नवउद्यमी ने अपने साथ करीब 20 से अधिक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है। इससे उसके यहां काम कर रहे कर्मी आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं। इनके बनाए कपड़े उत्तर प्रदेश के बाज़ार के साथ ही अन्य राज्यों में व दुनिया की नामचीन ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर भी धूम मचा रहे हैं।
लगाई रेडीमेड गारमेंट्स की फैक्ट्री
स्वरोजगार से जुड़ी सरकारी योजनाएं आज उत्साही युवा उद्यमियों के पास पहुँचकर कमाल करने लगी हैं। सरकार की इसी आर्थिक मदद की योजनाओं का लाभ उठाते हुए वाराणसी के राजेश जायसवाल नामक युवक ने वाराणसी के पांडेयपुर में रेडीमेड गारमेंट्स की फैक्ट्री लगाई। फैक्ट्री में सिर्फ़ कपड़े ही नहीं सिले जा रहे हैं बल्कि लोगों के लिए रोज़गार का सृजन भी हो रहा है। यहां 14 पुरुष व 6 महिलाओं को सीधे तौर पर रोज़गार दिया गया है। राजेश की कपनी क़रीब 40 से 50 लाख का टर्न ओवर सालाना कर रही है। ये नवउद्यमी बनारसी फैब्रिक, मुम्बई और अहमदाबाद से कपड़े मंगा कर सिलाई करके, अपना ब्रांड बना कर बेचता है। कपड़ों को सिल कर वाराणसी से शुरू कर आज पूरे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ तक रेडीमेड कपड़ों की सप्लाई कर रहे हैं। यही नहीं ई-कॉमर्स, अमेजॉन, फ़्लिपकार्ट, लाइम रोड जैसे प्लेटफार्म पर भी इस कंपनी का रेडीमेड गारमेंट्स पसंद किया जा रहा है। इनके प्रोडक्ट एथनिक डिज़ाइनर कुर्ते, शर्ट, जैकेट ब्रांडेड गारमेंट्स से सस्ते हैं और उनको टक्कर देते हुए दिख रहे हैं।
मिला 20 लाख का ऋण, 25 प्रतिशत की सब्सिडी के साथ
दरअसल कॉमर्स से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद राजेश ने पहले स्वरोजगार के बारे में सोचा। उन्होंने जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केंद्र से संपर्क साधा अधिकारियों ने ना सिर्फ उनके प्रोजेक्ट को समझा और सराहा बल्कि उनको उद्योग लगाने के लिए पूरा सहयोग भी किया। वाराणसी के सहायक आयुक्त उद्योग वी के वर्मा ने बताया कि इस नव उद्यमी ने सरकारी योजना "प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम" (PMEGP) के तहत बैंक से 20 लाख का ऋण लिया। इन्हें नियमानुसार 25 प्रतिशत की सब्सिडी का भी लाभ उद्योग लगाने के लिए मिला।
सात साल के लिए लिया लोन, दो साल में ही चुकाने योग्य बना
अधिकारी ने बताया कि नवउद्यमी अपनी मेहनत व लगन से सात साल के लिए लिये गए लोन को क़रीब दो साल में ही चुकाने की स्थिति में आ गया है। राजेश का मानना है की सरकार की आर्थिक मदद की योजना नहीं होती तो आज वे उद्यमी नहीं बन पाते। सरकार कि ही नीतियों की ही देन है, की स्वरोजग़ार के साथ ही हम कई हाथों को भी काम दे रहे हैं। इससे कई परिवारों का जीवन स्तर भी ऊपर उठ रहा हैं। फैक्ट्री में काम करने वाले चाँद बाबू, रुस्तम, ननकू, जावेद, हासिम छेदी लाल, रामाश्रय, रौशन जहाँ, श्रीराम जैसे हुनरमंद करीगरों ने बताया कि हम जैसे कई लोगों को कोरोना काल से लेकर अब तक रोज़गार के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ा।
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