काशी के सुनियोजित विकास के लिए योगी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का करेगी इस्तेमाल
वाराणसी, 10जनवरी। काशी के सुनियोजित विकास के लिए योगी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करेगी। प्राचीन शहर काशी की पौराणिकता को कायम रखते हुए धर्म,अध्यात्म और सांस्कृतिक नगरी को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण भू-स्थानिक मानचित्रण यानी जियोस्पेशल तकनीक के जरिये नए निर्माणों को चिन्हित करते हुए अवैध निर्माण की पहचान करेगा। इससे उनके विरुद्ध कार्रवाई करने में मदद करेगी। इस तकनीक के जरिये शहर के सुव्यवस्थित विकास में मदद मिलेगी।
काशी के सुनियोजित विकास के लिए योगी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का करेगी इस्तेमाल
- ओल्डेस्ट लिविंग सिटी काशी अब आधुनिक टेक्नॉलजी को इस्तेमाल करके होगी अत्याधुनिक
- वीडीए भू-स्थानिक मानचित्रण यानी जियो स्पेशल तकनीक से अवैध निर्माण को चिह्नित और कार्यवाही करेगी
- एक क्लिक पर खुलेगी अवैध निर्माणों की कुंडली, कार्यवाही पर रख सकेंगे नजर, दे सकेंगे आवश्यक निर्देश
- विस्तृत क्षेत्र की सटीक जानकारी उपलब्ध कराएगी नई तकनीक, सुव्यवस्थित विकास में मिलेगी मदद
वाराणसी, 10जनवरी। काशी के सुनियोजित विकास के लिए योगी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करेगी। प्राचीन शहर काशी की पौराणिकता को कायम रखते हुए धर्म,अध्यात्म और सांस्कृतिक नगरी को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण भू-स्थानिक मानचित्रण यानी जियोस्पेशल तकनीक के जरिये नए निर्माणों को चिन्हित करते हुए अवैध निर्माण की पहचान करेगा। इससे उनके विरुद्ध कार्रवाई करने में मदद करेगी। इस तकनीक के जरिये शहर के सुव्यवस्थित विकास में मदद मिलेगी। वीडीए ने 3 साल के लिए जियोट्रिक्स एनालिटिक्स नाम की कंपनी को इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया है। जो हर 6 महीने में सर्वे करके अपनी रिपोर्ट देगी।
विश्व के लिए विकास का मॉडल बन रही ओल्डेस्ट लिविंग सिटी काशी अब आधुनिक टेक्नॉलजी को इस्तेमाल करके और आधुनिक होगी। वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि एआई आधारित भू-स्थानिक मानचित्रण (जियो स्पेशल) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक से वाराणसी में नए निर्माण को ट्रैक करके अवैध निर्माण और अतिक्रमण को चिह्नित करने में मदद ली जाएगी। जो नए निर्माण के स्थानों को सटीक चिह्नित करके उसकी लोकेशन बताएगा, इससे कार्रवाई करना आसान होगा, जिससे अफसरों व अभियंताओं की जवाबदेही निर्धारित की जा सकेगी। कुछ माह पूर्व बाबतपुर रोड, रिंग रोड फेज 1, चुनार रोड, वरुणा और अस्सी नदी आदि क्षेत्रों में जियो स्पेशल मैपिंग की गई थी, इसमें 197 नए निर्माण मिले थे, इसके आधार पर अवैध और अतिक्रमण को चिह्नित किया गया था।
वीडीए उपाध्यक्ष के एक क्लिक पर अवैध निर्माणों की कुंडली खुल जाएगी। कार्यवाही पर नजर रखते हुए आवश्यक निर्देश दिये जा सकेंगे। इसका सॉफ्टवेयर व मोबाइल एप भी विकसित किया जायेगा, जिसके माध्यम से प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंच कर अवैध निर्माण की फोटो खिंच कर अपलोड कर सकेंगे। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने जानकारी दी कि अवैध निर्माण और कार्रवाई संबंधित विस्तृत रिपोर्ट भी सॉफ्टवेयर के माध्यम से तैयार की जाएगी, जिससे हर चरण की कार्यवाही पर निगरानी रखी जा सकेगी।
भू-स्थानिक विश्लेषण से संबंधित कंपनी जियोट्रिक्स एनालिटिक्स के निदेशक अक्षत चौहान ने बताया कि यह तकनीक किसी बड़े क्षेत्र के लिए अत्यधिक सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है। जिसे सम्बंधित उच्च अधिकारी समयबद्ध तरीक़े से प्रभावशाली निगरानी करके आवश्यक निर्देश भी दे सकते है। इस टेक्नोलॉजी से जुड़े सॉफ्ट वेयर के जरिये सभी अधिकारी जुड़े होंगे जो अवैध निर्माण और अतिक्रम को ट्रैक कर सकेंगे और ऑनलाइन आवश्यक कार्यवाही का निर्देश दे सकेंगे।
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