बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी में फिर चाचा बनाम भतीजा, परंतु बीजेपी चाहती है विलय!
दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन ने नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड को खत्म करने और भाजपा को बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परंतु अब यह भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। पार्टी चाहती है कि पासवान वोटों में बिखराव को रोकने के लिए दोनों गुट एक छतरी के नीचे आ जाए। बीजेपी पार्टी के दोनों गुटों का विलय चाहती है।
दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन ने नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड को खत्म करने और भाजपा को बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परंतु अब यह भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। पार्टी चाहती है कि पासवान वोटों में बिखराव को रोकने के लिए दोनों गुट एक छतरी के नीचे आ जाए। बीजेपी पार्टी के दोनों गुटों का विलय चाहती है।
दो दिन पहले बीजेपी के केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने दोनों गुटों से मुलाकात की थी और विलय का विचार रखा था। लेकिन पासवान के भाई पशुपति नाथ पारस, जो वर्तमान में केंद्र सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं, ने इसे ठुकरा दिया है। पारस ने कहा कि, नित्यानंद राय के साथ उनकी "अच्छी बातचीत" हुई। उन्होंने कहा, "उनका सुझाव है कि चाचा, भतीजे, एक साथ हो जाओ, परंतु मैंने कहा कि यह संभव नहीं है। जब चीजें गलत हो जाती हैं, जब दूध फट जाता है, तो आप कितनी भी कोशिश कर लें, आपको मक्खन नहीं मिलता है।"
भाजपा ने 18 जुलाई को सहयोगियों के साथ मेगा बैठक में भाग लेने के लिए चिराग पासवान को आमंत्रित किया है। पशुपति पारस के नेतृत्व वाले गुट ने कहा कि वे एनडीए में चिराग पासवान के प्रवेश का विरोध नहीं करेंगे, लेकिन वे उनका स्वागत भी नहीं करेंगे। बैठक में अपने भतीजे की उपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर, पारस ने संवाददाताओं से कहा: "चिराग पासवान अब एनडीए के भागीदार नहीं हैं। वह 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से अलग-थलग हैं।" उन्होंने आगे कहा कि, "यह चुनावी साल है। हर पार्टी अधिक लोगों को जोड़ना चाहती है... इसलिए चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को आमंत्रित किया गया है। लोग बैठक में आएंगे, जो अच्छी बात है। क्या होगा यह बैठक के नतीजे पर निर्भर करेगा।"
बता दे किं चाचा और भतीजा फिलहाल हाजीपुर सीट को लेकर लड़ाई में फंसे हुए हैं। दोनों का लक्ष्य राम विलास पासवान की विरासत पर दावा करना है। अपने जीवनकाल में यह सीट राम विलास पासवान का गढ़ मानी जाती थी। 2019 में यहां से पारस और जमुई से चिराग पासवान जीते थे। पारस ने अब अपने भतीजे के लिए सीट छोड़ने से इनकार कर दिया है।
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